जब सुखविंदर सिंह सुखू, मुख्यमंत्री of हिमाचल प्रदेश सरकार ने 21 अक्टूबर 2024 को शिवला के हिमाचल प्रदेश सीआईडी मुख्यालय का औपचारिक कार्यक्रम सम्पन्न किया, तो तीन डिब्बे समोसे रैडिसन ब्लू होटल से ऑर्डर किए गए थे। लेकिन ये समोसे मुख्यमंत्री की मेज तक नहीं पहुँचे – स्टाफ ने ही उसे खा लिया। यही ‘समोसा कांड’ बन गया, जिस पर CM सुखू ने 9 नवंबर 2024 को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीखी टिप्पणी की।
समोसा कांड की पृष्ठभूमि
सामान्यतः नीतियों पर चर्चा में भोजन की बात कम ही आती है, पर इस बार समोसे ने राजनीति को हल्का-फुल्का बना दिया। 21 अक्टूबर को शिवला के सीआईडी हेडक्वार्टर्स में एक आधिकारिक कार्यक्रम के बाद, स्टाफ को बताया गया कि तीन बॉक्स समोसे विशेष रूप से मुख्यमंत्री के लिये तैयार किए गए हैं। फिर भी, जब डिलीवरी हुई तो समोसा कांड की खबरें सोशल मीडिया पर गूँजने लगीं।
जांच का आरम्भ हिमाचल प्रदेश सीआईडी के एक विशेष टास्क फोर्स ने किया। रिपोर्ट में बताया गया कि समोसे ‘अधिकारी द्वारा निर्धारित नहीं, बल्कि स्टाफ द्वारा बिना अनुमति के’ खाए गए थे। इस कारण से मामला ‘एंटी‑गवर्नमेंट’ और ‘एंटी‑हिमाचल’ के रूप में लेबल किया गया, जिससे विपक्षी पार्टियों ने इसको ‘बड़ी स्कैंडल्स के बीच छोटे मुद्दे’ कह कर खारिज किया।
CM सुखू की मुंबई प्रेस कॉन्फ्रेंस
9 नवंबर को मुंबई के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में CM सुखू ने कहा, "सच का सामना हमेशा झूठ के साथ होता है और समय आने पर सच की जीत होती है"। यह बयान उन्होंने उसी समय दिया जब उनका नाम ‘समोसा कांड’ से जुड़ा था।
सुखू ने आगे कहा, "जब मैं कांग्रेस के दफ्तर पहुँचा तो पवन खेड़ा ने मुझे समोसा खिलाया। तब मैंने पूछा कि यहाँ की राजनीति समोसे पर है या विकास, महिलाओं के सम्मान पर?" इस बात को सुनते ही पवन खेड़ा, जो कि महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, का नाम मीडिया में फिर से आया।
यह टिप्पणी ‘ऑपरेशन लोटस’ की तुलना में कही गई थी – "महाराष्ट्र की तरह हिमाचल में भी ऑपरेशन लोटस हुआ" – जिससे दर्शाया गया कि दोनो राज्यों में राजनीति के खेल में झूठे वादे और रणनीति समान हैं। साथ ही, उन्होंने बीजेपी नेताओं की आलोचना करते हुए कहा, "हर बार राजनीतिक रोटी सेंकते हैं"।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और विपक्षी टिप्पणी
बाजार में नई राजनीति की हवा है। बीजेपी के मुख्य राज्य प्रभारी ने कहा, "समोसा कांड पर समय बर्बाद करना अजीब बात है, जबकि स्वास्थ्य, शिक्षा और जल जैसी बड़ी समस्याएँ अभी भी अनसुलझी हैं।" विपक्षी भावना में यह स्पष्ट था कि यह मुद्दा स्वार्थी राजनीति का एक नया रूप है।
कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता, हालांकि, इस मामले को हल्का-फुल्का कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि "बड़े मुद्दों के बीच छोटे‑छोटे मसले आते रहेंगे, पर जनता को यह समझना चाहिए कि सरकार के पास बड़े प्रोजेक्ट्स भी हैं"।
सुखू ने अपने पहले ही कैबिनेट मीटिंग में सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) देने का वादा किया था, इस पर उन्होंने दोबारा ज़ोर दिया कि उनकी सरकार ने "अवसर न छोड़ने" की नीति अपनाई है। यह वादा अब ‘समोसा कांड’ के साथ जुड़कर राजनीतिक समीक्षकों की निगाहों में आया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया की धूम
समोसे के तीन बॉक्स की बात सुनते ही ट्विटर, इंस्टा और फेसबुक पर मीम्स की बौछार हो गई। एक लोकप्रिय मीम में लिखा था, "अगर सीएम को भी समोसा नहीं मिलेगा, तो आम नागरिक को क्यों नहीं मिलेगा?" कई यूज़र्स ने इस कोट को फिर से पोस्ट किया, जिससे इस मुद्दे की वायरलिटी बढ़ी।
फिर भी, कई नागरिकों ने इस बात को हल्का-फुल्का नहीं माना। एक स्थानीय नागरिक ने कहा, "समोसा छोटा मुद्दा नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की निशानी है।" इस तरह से जनता की राय दोधारी रही – कुछ ने इसे मजाकिया माना, जबकि कुछ ने इसे प्रशासनिक अक्षमता की ओर इशारा किया।
भविष्य में क्या हो सकता है?
जैसे ही 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब आ रहा है, इस ‘समोसा कांड’ की छाप भारतीय राजनीति में बनी रहेगी। यदि कांग्रेस राज्य में पुनः सत्ता पाए, तो पवन खेड़ा जैसे नेताओं को इस घटना को अपने पक्ष में इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, यदि बीजेपी फिर से जीतती है, तो इस मुद्दे को ‘बिना कारण की जांच’ कहा जाएगा।
परिणामस्वरूप, आज की राजनीतिक जाँच में एक छोटी सी डिश भी बड़े मौकों को बदल सकती है। जैसे ही नई रिपोर्टें सामने आएँगी, हमें देखना पड़ेगा कि यह ‘समोसा कांड’ किस दिशा में मोड़ लेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
समोसा कांड से हिमाचल में कौन-कौन प्रभावित हुआ?
मुख्य तौर पर राज्य सरकार, सीआईडी स्टाफ और विपक्षी पार्टियों ने इस कांड से राजनीतिक लाभ या हानि उठाई। नागरिक भी इसे प्रशासनिक लापरवाही के तौर पर देख रहे हैं।
क्या पवन खेड़ाने वास्तव में समोसा खवाया था?
हाँ, महाराष्ट्र कांग्रेस कार्यालय में पवन खेड़ा ने CM सुखू को समोसा पेश किया। वह इस बात को हास्यात्मक रूप में लेकर अपनी टिप्पणी में प्रयोग किया।
ऑपरेशन लोटस का उल्लेख इस कांड में क्यों किया गया?
CM सुखू ने इसे तुलना के तौर पर प्रयोग किया, यह दर्शाने के लिये कि राजनीतिक रणनीतियों में महाराष्ट्र की तरह ही हिमाचल में भी ‘एलिट’ चुनावी चालें हो रही हैं।
भविष्य में इस कांड का असर चुनावों पर क्या पड़ेगा?
यदि कांग्रेस को राज्य में फिर से सत्ता मिलती है तो यह कांड उनकी लोकप्रियता को बढ़ाएगा। दूसरी ओर, बीजेपी इसे शासक पार्टी की लापरवाही का प्रमाण मान कर विपक्षी मतदाता की राय बदलने की कोशिश कर सकती है।
सुखू ने किस सरकारी योजना को उजागर किया?
सुखू ने अपने पहले कैबिनेट मीटिंग में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिये पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का वादा दोहराया, जिससे उन्होंने प्रशासनिक स्थिरता पर ज़ोर दिया।